Hindi Translationअपूर्ण न होने से सब सर्वांग नासिक हुआ था ।
बिना खुद अन्य वासना न होने से,
वही महत्व पृथ्वी छिपी थी ।
अपूर्ण न होने से सब सर्वांग जिह्व हुआ था ।
बिना खुद अन्य रुचि न होने से
वही महत्व जल छिपा था ।
अपूर्ण न होने से सब सर्वांग नेत्र हुआ था।
बिना खुद अन्य रूप न होने से
वही महत्व अग्नि छिपी थी ।
अपूर्ण न होने से सब सर्वांग त्वक हुआ था ।
बिना खुद अन्य स्पर्श न होने से
वहीं महत्व वायु छिपी थी ।
अपूर्ण न होने से सब सर्वांग श्रोत्र हुआ था ।
बिना खुद अन्य शब्द न होने से,
वहीं महत्व आकाश छिपा था ।
एसे पंच भूत छिप गये तो,
पंच ब्रह्ममय हुआ था
उसमें जगत् छिपा रहा भेद है ।
पंचवर्णातीत होकर महत्व अपनाये
शरण भेद को क्या कहें उपमा दूँ गुहेश्वरा ?
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura