Hindi Translationआये हुए को छोड़कर, न आनेवाले की चाह कहना
पेठ का गुणधर्म रहित के सिवा,
पेठ का गुणधर्म रहनेवाले को होता नहीं।
वह कैसे कहे तो--
राजभय, चोरभय, मृगभय, दशाभय, स्त्रीभय आछूके तो
ज्यादा कमी न रहे एक ही तरह देखना चाहिए।
क्षीर, घृत, नवरत्न, आभरण, घर, पलंग,गाय, धन, वनिताओं के भोगों को
लिंग की आज्ञा से आये समझ,
बिना छोड़े भोग करनेवाले भाइयों तुम सुनो,
मदगज बड़ाबाघ, काळोरग, महा ज्वाला
अप्रयत्नसे आकर मिले,
मिले संशय के बिना लिंग आज्ञा न कहें तो
स्वय वचन के विरूद्ध देख।
यह जीवजाल की ज्यादा चाह के बिना निरुपाधिक नहीं।
पेयापेय जानकर भोग करना चाहिए।
भय, लज्जा, मोह रहने तक कैसे होता?
इस कारण-अंग का आचार, भाव को केवलज्ञान।
आया था न आता- कहेंतथ्य मिथ्या, राग द्वेष मिठे।
अपने निज में खुद परिणामी बना हुआ
गुहेश्वरा तुम्हारा शरण।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura