Hindi Translationसर्वामा चैतन्य रहे जंगम की स्थिति देख :-
अखंड ब्रह्म के शून्य सब खुद बने,
बिना घूमें अवकाश न होने से निर्गमनी हो तो,
एक आशा में न रहा अविरलज्ञानी ।
लक्ष्य देकर घूमनेवाला नहीं, भक्ति गम्य है।
अन्य गमन के बिना, तुरीय बिना अपने निर्गमन की स्थिति
चतुराकार की भूमी ही सुख तुल्य पलंग,
आकाश ही वितान, चंद्रसूर्य ही उभय भाग में प्रकाश की ज्योति,
परिणाम ही तृप्ति, दिशा ही कपडे, सद्गुण वासना ही परिमल।
नक्षत्र ही पुष्प शिवतत्व कांति ही आवरण,
त्रिगुण कूट ही तांबूल, ज्ञान शक्ति का संग,
प्रणव नाद गीत को सुनना -
ऐसे अष्ट भोग ऐश्वर्य में रहे राजयोगि चरलिंग,
निश्चिंत, निर्वाणि, निरंजन, निर्माय निर्वयसनी परमजंगम,
बिना ऐसे - शरीर की इच्छा से घूमते व्याकुलता से
त्रिविधों को बद्ध रहे सब जगत्पावन बन सकते देवगुहेश्वरा ?
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura