Hindi Translationअय्या उभय भिन्न रूढ़ियों को
अपने मूल चित्स्वरूप बना परिपूर्ण महाज्ञान प्रकाश बल से
थोथा ओसाकर, अपना आदि सन्मार्ग जानकर
उस सन्मार्ग में निराभारी वीरशैव अनादि शरण स्वरूप जानकर,
उस शरण के निज चरण स्वस्वरूप स्थित
उस परिपूर्ण ज्ञान प्रकाश में महाज्ञान
स्वानुभाव दृष्टि से देख, वह महाज्ञान गुरु बनकर,
वह परिपूर्ण ज्ञान ही शिष्य होकर, वह स्वानुभाव
प्रकाश ही लिंग होकर,
अपने अपने निज प्रकाश में प्रभावित कर,
परात्पर परंज्योती निरवय शून्य लिंगमूर्ति गुहेश्वर लिंग
संगनबसवण्णा के अष्टदल चौदल, षड्दल, दशदल, द्वादशदल,
षोडशदल, द्विदल, शतदल, सहस्रदल, लक्षदल, करोड दलों से
सर्वांग में शोभायमान अनंत आंगन में
अनंतकोटी सूर्य चंद्राग्नि प्रकाश से अधिक
देख चेन्नबसवण्णा।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura