Hindi Translationनित्य निरंजन निरवयखंड परवस्तु से उधर-उदय होकर,
खड़ी स्थिति जानना ही भक्त,
गुरु प्रसन्नता से माहेश्वर,
लिंग पूजा से प्रसादी,
स्वानुभाव विवेक से प्राणलिंगी,
स्वयानंद से शरण-
सोहं ब्रह्मास्मि कहते लिंगैक्य।
ऐसे षट्स्थल संपन्न बने, खड़ी स्थिति तू जानने के सिवा
लोक के संदेही मानव कैसे जानते गुहेश्वरा ?
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura