Hindi Translationनिराल निश्यून्य परम जंगम ज्ञान खुद न बने,
सिर्फ अहंकार से तीन मलों को स्वीकारते
हम ही जंगम कहें बोलते कर्म पाषंडियों को
काशी केदार श्रीशैल विरुपाक्ष कहते,
फिर ईरण्णा, मल्लण्णा, बसवण्णा ये ही देव कहते
उन पत्थरों को अपने घर के अंदर एक कोने में
छेद संकीर्ण स्थान में रखे
उसे धोये पानी, उनके झूटन खाने पशुओं को
देवभक्त कह सकते अय्या ? न कहना।
ऐसे अनाचारी , भुलक्कड़ श्वपचों को
जंगम कहते पूजा न करना देखिये।
वीरशैव आचार रहे भक्त इसे पारकर पूजा करे तो
उन दोनों को भी भवकर्म न चूकते देख गुहेश्वरा।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura