Hindi Translationपूर्णिमा आने तक,
मुँह बंधन में रहा चकोर जैसा था अय्या।
न खा सकता ऐसे शास्त्रानुसार रहता नहीं
खा नहीं सकता शास्त्र है क्या लिंगवंत को ?
अहोरात्रि अष्टभोगों को लिंग को दे-लेना चाहिए।
करना, देना निजभक्त न होने से मुँह नहीं खोल रहा हूँ।
किया दिया कहें संतोष का आप्यायन बड़ा हुआ था।
दो अय्या संगन बसवण्णा गुहेश्वर को।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura