Hindi Translationअय्या, तनु त्रय, जीव त्रय,
आत्म त्रय, अवस्था त्रय,
मन त्रय, ताप त्रय, काल त्रय,
कर्म त्रय, भाव त्रय, मलत्रय।
करण त्रय, आदि प्रवृत्ति मार्ग छोड़कर
पहले कहैं सद्भक्त-महेश्वर स्थल में खडे-
अष्टावधान अविराळानंद मूर्ति बने प्रकाशित
निज प्रसादी अंतरंग में चित्त घन स्वरूप लीला से
अंतरंग में अंगतत्व, लिंगतत्व, शिवतत्व, परतत्व
आदि समस्त तत्व मिलकर
सोलह स्थलों को जोडकर,
चार हजार तीनसौ बीस मंत्र मालिक पकडे।
चौबीस रहस्य गर्भ से पादोदक, प्रसाद लिए
अंग-मन-प्राण-भावसब इंद्रिय
पादोदक प्रसादमय जैसे हर गुरु वाक्य से
सोने रंग प्रकाश जैसे बिना भिन्न भाव एक रूप से
निरीक्षण मूर्ति शिवलिंग बनकर स्थित हुआ है
देख निरवय शून्य लिंगमूर्ति गुहेश्वर लिंग चेन्नबसवण्णा।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura