Hindi Translationएक दो तीन चार अनुक्रम भाव न जाने
लोक बिगडा था देख , संसार बिगडा था देख ।
सब चौदह भुवन बिगडे थे देखा ।
इधर विस्तार हुआ था, स्थिति आयत हुई थी ।
मारारी के नियम कठिन देख ।
नादचक्र, बिंदुचक्र,कलाचक्र
रुक कहे रोका निर्वय चेन्नबसवण्णा ने ।
कालकर्म स्थिति गुण मीठाकर निर्भाव में निर्वय हुआ चेन्नबसवण्णा ।
अपने में खुद प्रकाश बना चेन्नबसवण्णा
प्रकाश का प्रकाश लीन हुआ था गुहेश्वर में
चेन्नबसवण्णा ।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura