Hindi Translationकरनेवाले भक्त में मिले जंगम ।
नीचा दिखा रहे थे एक दूसरे को।
अपने आप को न जाननेवाले विरोधी हैं।
पेठ के गुणधर्म से अन्नासन पंक्ति में
जूझनेवालों को क्यों शिव का वेष?
जंगम नहीं कहलायेंगे सब चराचर ?
राजा के नाम से बुलाये गये अनामिक जैसे
नाम रुप रहने से क्या हुआ था? वहाँ शिव नहीं।
सारी धरती में सोना रहता है? एक जगह में रहता है।
परम वेष के ठीक चरित्र हो तो शिव रहेगा।
वह कैसे कहें तो-
“धारयेत् समता कंथांक्षमाख्यांभस्मघुटिकां।
दया कमंडलमेव ज्ञानदंडों मनोहर : ॥
भिक्षापात्रं च वैराग्य भक्तिभिक्षां च याचयेत्“॥कहने से-
समझधारीका वेष ज्ञान में धारण कर,
चिह्न का वेष अंग में धारण कर,
‘भक्तिभिक्षांदेहि’-हुए ज्ञानमूर्ती को वेष खुद नहींचाहिए।
गुहेश्वर लिंग की आज्ञा होने से।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura