Hindi Translationअय्या परवस्तु रहे नेत्र,
गुह्य का गुह्य, गौप्य का गौप्य,
रहस्य का रहस्य, मिलन का मिलन,
दर्शन का दर्शन, मोह का मोह,
वह कैसे कहें तो-
‘लिंगस्य सायकं नेत्रं
चक्षुर्लिंगस्य चक्षुस:’।
ऐसे -
गुरुकटाक्ष से इस्ट-प्राण-भाव लिंग संबंध
महाघन चक्षु गुहेश्वर लिंग को महा प्रसाद देखा सिद्धरामय्या।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura