Hindi Translationअय्या, निरवय शून्य लिंग देही निज करुण प्रसादात्मा
उस निरवय शून्य लिंगाचार में चलता हूँ।
लोकवर्तक लोकचातुर्य से लोक व्यवहार के अनुसार न चलनेवाला
निज शिव ज्ञान-निज शिव क्रिया प्रकाश के संबंध से
सर्वांग निरवय शून्य लिंगरूप बने
लिंग का लिंग ही भाजन पदार्थ-प्रसाद-परिणाम होने से
वह लिंगैक्य देखो।
भक्ति जैसे निर्मल चिद्भूमि में
स्वयज्ञान शिशु उदय हुआ था देख, वह स्वयज्ञान शिशु
ऊर्ध्व लोक जाकर व्योमामृत प्रसाद खाकर
नाम रुप-क्रिया मिठाकर निरवय शून्य लीला धारण कर
सोमनाळ में शुभ्र कला; पिंगळनाल में सुवर्णकला;
सुषम्ननाळ में सुज्ञान ज्योति प्रकाश जैसे
सात सौ सत्तर नाळ में चमकते
परमगुरु संगनबसवण्णा के प्रकाश के निज प्रसाद में
गुहेश्वर प्रभु जैसे रूप बने, पक्व होनेपर
फिर नहीं निरवय शून्य बनना न चुकता देख
चेन्नबसवण्णा।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura