Hindi Translationअय्या सद्भक्त – महेश्वर- प्रसादि
प्राण लिंगि-शरण- ऐक्य-निरालंब स्थल आदि
समस्त स्थल को जान भूलकर पारकर
निरवय शून्य स्थल में शोभायमान मूर्ति की स्थिति कै से कहेतो
अज्ञान माया संसार दुनिया जैसे पाश में गिरे तडपते
जड जीवों से दूरहोकर आँख मन भावों को बिना गोचर
क्रियाकाश- ज्ञानाकाश-भावाकाश-पिंडाकाश- बिंद्वाकाश
चिदाकाश – महदाकाश के बीच में बिजली की कौंध अशाश्वत स्थिति जैसे
इक्षु-लवण-सर्पि-दघि-क्षीर-घृत-स्वादोदक
आदि सप्त समुद्रों में
उदराग्नि- मंदाग्नि- कामाग्नि- शोकाग्नि
वडवाग्नि-कालाग्नि-चिदग्नि-रहकर
उस समुद्रों के संसार-पाशा-जन्म-जरा-मरणादियों से
बाहर रहने जैसे शिवशरणों का रूप बने जडजीवियों का निरुप हुआ है
देख गुहेश्वरलिंग चेन्नबसवण्णा।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura