Hindi Translationअय्या, स्थूल देह के सुख में रहे सूकर जैसे।
सूक्ष्म देह में रहे मदगज जैसे।
कारण देह के सुख में रहे राजहंस जैसे।
वह कैसे कहेंतो:
स्थूल देह कहें तो सप्तधातु युक्त हुआ पंचविंशति तत्व स्वरूप,
उस देह को बिंदुमात्र सुख, पर्वत जैसा दुःख देखा।
सूक्ष्म देह कहें तो – पंच रसामृत स्वरूप हुआ करण हैं।
उस देह को बिन्दुमात्र दुःख, पर्वत जैसा सुख देखा।
दशविध तत्व स्वरूप हुआ कारण देह कहें तो:
अनंत नाद स्वरूप हुआ एक तत्व रहा आमा ही कारण देह,
वह दिव्य सुधारसामृत स्वरूप हुआ महासद्गंध का
परिमल जैसे देखा।
उस देह को अणुमात्र बिना दुःख –सुख है देखा,
लिंग संगि होने के कारण।
ऐसे लिंग संग से अखंड सुखी खुद होना चाहिए तो
पिंडादि ज्ञान शून्यांत हुआ एक सौ एक स्थल कुल
करतलामलक बने जाने,
ऊपर के ज्ञान शून्य स्थल में खडे ,
पिंडादिज्ञान गुरुकरुण स्थल जैसे मार्ग बिना छूके
बोलचाल संपन्न बने निजाचरण में खडे
छ:रिपु,आष्टमद (सप्त) व्यसन जैसे माया पाशा पर्वत को
वज्रायुध बने खडे देखा हमारे शरण गण
ऐसे-कारण स्वरुप हुआ
चिद्धन लिंग बोल-चाल-स्थल – कुल अनुभाव सुख न पाये
शैव सब जड कर्मि ,
छ: वैरी, अष्टमद, सप्त व्यसन जैसे
मायापाश काल काम के दर्द से
गुहेश्वर लिंग के शरणों के मार्ग न जाने (बिगडे)
बिगडा यह लोक देखा सिद्धरामय्या।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura