Hindi Translationयोग शिवयोगों की रीति न जाने
योगी शिवयोगी कहें तो,
सुनाकुत्ता सिंह बन सकता है?
योग का अष्टांग, शिवयोग के षठ्स्थल,
शिवलिंग में अमल में लाई लाये बिना
योग शिवयोगों की रीति न मिलता।
वह कैसे कहें तो
यम नियमों के गुणधर्मों को जाने आचरण में लानेवाला ही भक्त,
आसनों के भेद जानकर आचार करनेवाला महेश्वर।
चराचरात्मक प्राणियों को लयस्थान बने
प्राणायाम का भेद जानकर आचरण करनेवाला ही प्रणालिंगी।
पंचेंद्रियों के विषय में घूमता
मन मारुतों के संयम निग्रह
प्रत्याहार जाने आचरण करनेवाला प्रसादी।
इष्टलिंग ध्यान का मूल जानते
भाव के हस्त में धारणकर महालिंग का
ध्यान धारणों को जानकर आचरण करनेवाला शरण।
ऐसे भाव के हस्त में ध्यान धारण से लाये
महालिंग में मिले समरस बने
समाधि जानकर आचरण करनेवाला ऐक्य।
वह कैसे कहें तो:
योगजाग में
‘यमेननियमेनैवमन्येभक्त इति स्वयं।
स्थिरासनसमायुक्तों माहेश्वर पदान्वित:
चराचरलयस्थानं लिंगमाकाशसंज्ञकं।
प्राणेतद्योम्नि तल्लीने प्रणालिंगी भवेत्समाने।
प्रत्याहारेण संयुक्त: प्रसादीति न संशय:।
ध्यानधारण संपन्न: शरणस्थलवानेसुधिः।
लिंगैक्योद्वैतभावात्मा निश्चलैकसमाधिना।
एवमष्टांगयोगेना वीरशैवोभवेन्नर:।
तस्मात सर्वप्रयत्नेन कर्मणाज्ञानतोपिवा
त्वमत्यष्टांग मार्गेणशिवयोगिभवेत्।"
कहते-ऐसे अष्टांगयोग के रहस्य को
षट्स्थल, शिवयोग में, सच्चे वीरशैव बननेवाले को
उन स्थितियों को जानकर, हमारे गुहेश्वरलिंग में
अत्याश्च़र्य चकित हुए दो हैं
शिवसिद्धराम, निजगुण शिवयोगी सुन गो रक्षय्या।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura