Hindi Translationहथेली में एक विकसित सिर पकडकर
आँखों के मोती गूंथनेवाली तू कौन कह ?
खिले चंपक पर भ्रमर आकर चूसने का भेद नहीं जानते
तडपने का परिताप क्या कह ?
एक कहें तो दो हुए हैं, दो कहें तो एक हुआ है।
ज्ञान के अंदर की भूल क्या कह ?
बिना दुःख रोदन, बिना रोदन अनुताप
हमारे गुहेश्वर लिंग में दिखा रहा है।
तू कौन कह अरे अव्वा ?
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N