Hindi Translationगुस्सा मत हो, गुस्सा मत हो तुम्हें एक युक्तिकहूँगा
वह कैसे कहेंतो:-
तुम मेरे वशीभूत हुए कारण - तुम्हारी अधिक कमी भी मेरी बनि है
तुम्हारी अस्ति, नास्ति मेरी बनी,
तुम्हारीहानि वृद्धि मेरी बनी,
सॉंप जनमे बाड घुसेंग घुस जायेंगे अय्या?
व्याध मिठायीबिखेरे यंत्र फैलाकर
आधारशिला रख जाने के बाद
मिठाई की खुशबू को घूस आकर गिरे जैसे
माया के जाल में गिरे।
क्रोध जैसा गोश्तरख, ताप जैसा पत्थर रखकर,
झूठ जैसे गुलेल यंत्र रखकर
सोना, स्त्री, मिट्टी जैसे आधार शिला रखे
गिरा दिया न निर्दयी त्रिनेत्रव्याध ने !
वह कैसे कहें तो शिवरहस्य में -
‘निस्संगत्व निराभारी निस्संगी निरुपाधिकं ।
निर्देहं निर्मल नित्यं सत्यं जंगम लक्षणं’ ॥
ऐसे श्रुत्यर्थ को बिना सुने,
जंगम बने घूमते पागल सुनिये,
इसकी और एक शृति है:
‘सुखं च बिंदुमात्रेण दु:ख पर्वत एव च ।
हरिणी पाद मात्रेण बंधन तु जगत्रयं’,
ऐसीशृति से मिले सोना, स्री, मिट्टी की आशा छोडे
क्रोध ताप छोडकर,
भ्रांत भ्रम छोडकर,
जंगम बनना चाहिए देखिए अरे पागल।
ऐसे षड्लोभ की रुचि नाश होकर जंगम बने बिना
भवनाश नहीं होता देख गुहेश्वरा।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura