Hindi Translation'नेत्रं देवो न चापर:’- ऐसी श्रुति होने से
नेत्र परशिव लिंग परब्रह्म है।
'नेत्रं सर्वज्ञ मे वपु:'- ऐसी श्रुति होने से, नेत्र शिवलिंग का देह है।
'नेत्रमध्योध्भवं लिंगं'- ऐसी श्रुति होने से
नेत्र लिंगमूर्ति को जनमे माता है।
'नेत्रमध्यजचित्सुखं'- ऐसी श्रुति होने से
नेत्र परशिवेष्ट लिंग के गुह्य का रनिवास है।
'द्विनेत्र कुचयोर्लिंगं-ऐसी श्रुति होने से
नेत्र प्राण लिंग के हस्तों को पकड़ने का स्तन हैं
'चक्षुश्च शिव पुष्पं च'- ऐसी श्रृति होने से
नेत्र लिंगके अविरल पुष्प हैं।
'लिंगज्योतिश्च नेत्रयो:- ऐसी श्रुति होने से
नेत्र लिंग की अखंड ज्योति हैं।
'लिंगाभिषेकं चक्षुश्च'- ऐसी श्रृति होने से
नेत्र लिंग को अभिषेक करने कलश हैं।
'लिंगस्य सायकं नेत्रं'- ऐसी श्रृति होने से
नेत्र लिंग को अपनाने को डालने तीर हैं।
'चक्षुर्लिंगस्य चाक्षुषि'- ऐसी श्रृति होने से
नेत्र लिंगमूर्ति के नेत्र के बिना स्वय का नहीं।
ये नेत्र लिंगमूर्ति की दृष्टि, काम, मिलन से,
भाव मन सीधाकर एकाग्र दृष्टि से देखना
लिंगैक्यशरण के बिना अन्य लोगों को कहाँ है?
यह गुह्य का गुह्य, गोप्य का गोप्य, रहस्य का रहस्य
इन नेत्र की महिमा को गुहेश्वर जाने बिना
आँख बिगड़े अन्य लोग कैसे जानते देख।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English Translation
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai
Telugu Translation
Urdu Translation
ಸ್ಥಲ -
ಶಬ್ದಾರ್ಥಗಳುWritten by: Sri Siddeswara Swamiji, Vijayapura