Hindi Translationभवियाचार न छोडे भयागर न घुसे,
शिवाचार चले कुत्ते सिर्फ हम शिवाचारी कहें तो
हमारे शिवाचारी शरण बसवण्णा नहीं मानता अय्या ।
शिवाचार का मार्ग,शिवाचार का मर्म,
शिवाचार का विस्तार हमारे शरण बसवण्णा जाने बिना
उदर पोषक वेषधारी कैसे जानते हैं अय्या ?
ऐसे शिवाचार के विस्तार का विवरण कहूँगी सुनिये -
वह कैसे कहें तो -
लिंगाचार, सदाचार, शिवाचार ,
र्भृत्याचार, गणाचार जैसे
पाँच प्रकार हैं देखो अय्या-
श्री गुरु कृपा से दिये लिंग के बिना
अन्य दैवों को नमस्कार किये बिना रहना ही
लिंगाचार देखो अय्या।
खुद करने सत्य कायक से आये अर्थादियों से
अपने परिवार की रक्षा करने की रीति
गुरु लिंग जंगम को दासोही बने रहना ही सदाचार है।
शिवभक्त हुए लिंगांगियों में पूर्व के जातिसूतकादियों को
विचार किये बिना उनके घर में खुद जाकर
खा बचा प्रसाद लेना ही शिवाचार देखो अय्या ।
लिंगांगि हुए शिवभक्त ही मर्त्य में बडे समझे
खुद उनका भृत्य जानकर
ऐसे निजलिंगांगियों के चमडे के खडाऊ की
पहरा देना ही भृत्याचार देखो अय्या ।
गुरु लिंग जंगम पादोदक प्रसाद
रुद्राक्षी मंत्र जैसे अष्ठावरणों को
अपने प्राणस्वरूप माने उनकी निंदा सुन बिना सहे
शिक्षा दूँगा जैसे निष्ठा रखना ही गणाचार देखो अय्या ।
इसके साक्षी परम रहस्ये-
“लिंगाचारस्सदाचारशिवाचारस्तथैवच ।
भृत्याचारो गणाचारःपंचाचारः प्रकीर्तित: ॥
गुरूणा दत्त लिंगंच नास्ति दैव महीतले ।
इति भावानुसंधानों लिंगाचार स्समुच्यते ॥
धर्मार्जित वित्तेन तृप्तिश्च क्रियते सदा ।
गुरुजंगमलिंगानां सदाचारः प्रकीर्तितः॥
अविचारेषु भक्तेषु जातिधर्मादि सूतकान् ।
तद्गृहेष्टन्नपानादि भोजनं क्रियते सदा॥
तच्छिवाचार मिथ्याहुवीरशैवपरायणा ।
शिवभक्तजना सर्वे वरिष्टा: पृथिवीतले ॥
तेषां भृत्योहमित्ये तद्भृत्याचारस्य उच्यते ।
गुरुलिंग जंगमश्चैव पादतिर्थः प्रसादतः ॥
इति पंचस्वरूपोऽयहं गणाचारः प्रकीर्तितः” ।
ऐसे कहें –शिवाचार के आचार न जाने
मैं शिवभक्त, मैं शिवभक्तिन् मैं शिवाचारी कहने
कहलानेवाले शीलवंतों को देख मेरा मन लज्जा से
मेरा मुख तुम्हारे पादों पर पडा था अय्या
श्रीगिरि चेन्नमल्लिकार्जुनय्या ।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English TranslationTranslated by: Dr. Sarojini Shintri
Tamil TranslationTranslated by: Smt. Kalyani Venkataraman, Chennai