Hindi Translationआकार रहित, निराकार लिंग को
हाथ में पकडे बाँधे कहेंगे अज्ञानी जीवी।
हरि ब्रह्म वेदपुराण आगम
ढूँढने पर न दिखाया लिंग।
भक्ति को फल के अलावा लिंग नहीं।
कर्म को नरक के अलावा लिंग नहीं।
ज्ञान को परिभ्रमण के अलावा लिंग नहीं।
वैराग्य को मुक्ति के अलावा लिंग नहीं।
यह कारण अपने को आप जानकर खुद हो तो
चेन्नमल्लिकार्जुन खुद दूसरा नहीं।
Translated by: Eswara Sharma M and Govindarao B N
English TranslationTranslated by: Dr. Sarojini Shintri